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Paroles de Kya Jaipur Kya Dilli

Interprète Rahgir

Paroles de la chanson Kya Jaipur Kya Dilli par Rahgir lyrics officiel

Kya Jaipur Kya Dilli est une chanson en Hindi

चोमू के चौराहे पर एक बूढ़ा बैठा नंगा
आते-जातों को पूछता कि क्यों भाई चंगा
जो रुक जाता उसे बोलता की सुण, भाई सेठा
अरे, जा आगरा, मुँह में ले-ले आगरे का पेठा
या जयपुर जा के रंगवा ले पिछवाड़ा गुलाबी
मुझे लगा कि कोई पागल है या फ़िर शराबी
मैं वेला था, जा बैठ गया उसके बाजू में
पूछा, “बाबाजी, क्यूँ लाई है तूने ये चिल्लम-चिल्ली वो बोला
जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली, भाई रे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली, क्या पटना, लुधियाना, चंडीगढ़
अंबरसर, बंबई, शिमला, मनाली, कुल्लू, चंबा, सीकर, झुंझुनू
कोटा, चूरू, काशी, कोच्चि, गोवा, राँची, कलकत्ता, इंदौर, चेन्नई
गुवाहाटी, आईज़ोल, मदुरई, सिरसा, सूरत और तिरुचिपल्ली
जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली

वो बोला, मेरे गाँव में एक शाम एक बंदा घर पे लौटा थका-हारा
उसकी बीवी गई थी पड़ोसियों से माँगने भैंस का चारा
पर उस बंदे को घर आते ही चाय चाहिए होती थी
और नहीं किसी की इस बारे में राय चाहिए होती थी
वो लौटी घर तो धर लिया उसको, दिए लात और घूँसे
अरे, मूत निकल गया सलवार में, खून निकल गया मुँह से
अरे, मूत निकल गया सलवार में, खून निकल गया मुँह से
फिर उसी हाल में पकड़ भगोना गई kitchen के अंदर
एक आग वहाँ चूल्हे में थी, एक उसके मन के अंदर
एक आग वहाँ चूल्हे में थी, एक उसके मन के अंदर
एक आग वहाँ चूल्हे में थी, एक उसके मन के अंदर
और दुख की बात तो ये है ऐसे क़िस्से आम हैं हर क्षेत्र में
Plain हो चाहे hilly
दुख की बात तो ये है ऐसे क़िस्से आम हैं हर क्षेत्र में
Plain हो चाहे hilly
क्योंकि जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली, भाई रे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली, क्या पटना, लुधियाना, चंडीगढ़
अंबरसर, बंबई, शिमला, मनाली, कुल्लू, चंबा, सीकर, झुंझुनू
कोटा, चूरू, काशी, कोच्चि, गोवा, राँची, कलकत्ता, इंदौर, चेन्नई
गुवाहाटी, आईज़ोल, मदुरई, सिरसा, सूरत और तिरुचिपल्ली
जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली

मुझे लगा कि बाबा है कुछ ज्यादा ही बड़बोला
पर उसने मेरी बात काट दी, जैसे ही मुँह खोला
बोला, खंडेला के बाज़ार एक शाम हुआ ये क़िस्सा
कि एक ठेले से एक भूखे ने उठा लिया एक समोसा
फिर वहाँ खड़े थे
सब ने धोया दे मूँछों पे ताव, वो दारासिंह हो गए
और घर जा के
अपनी-अपनी बीवियों की बाँहों में सो गए
अगले दिन उसी चौक पर, उसी जगह पर
एक सिसकते मजदूर के एक ठेकेदार भाई खा गया पैसे
और वहीं खड़े थे चुप्पी साधे मूँछों वाले भैंसे
अरे, सीना धँस गया, मूँछें नीची, हो गई निक्कर ढीली
अरे, सीना धँस गया, मूँछें नीची, हो गई निक्कर ढीली
इसी लिए तो किसी शाने ने कहा है
कि जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली, भाई रे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, क्या जयपुर, क्या दिल्ली, क्या पटना, लुधियाना, चंडीगढ़
अंबरसर, बंबई, शिमला, मनाली, कुल्लू, चंबा, सीकर, झुंझुनू
कोटा, चूरू, काशी, कोच्चि, गोवा, राँची, कलकत्ता, इंदौर, चेन्नई
गुवाहाटी, आईज़ोल, मदुरई, सिरसा, सूरत और तिरुचिपल्ली
जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
अरे, जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर, क्या दिल्ली
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