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Paroles de Masoomiyat

Interprète Rahgir

Paroles de la chanson Masoomiyat par Rahgir lyrics officiel

Masoomiyat est une chanson en Hindi

ना बस्ता कन्धों पे, बदन पे कपड़े ना
हैं निकले धंधों पे, किताबों के झगड़े ना
ना बस्ता कन्धों पे, बदन पे कपड़े ना
हैं निकले धंधों पे, किताबों के झगड़े ना
दो दुत्कारें उससे, दो दुत्कारें इससे
मायूस से फिरते जाने, सोचते हैं क्या किस्से
मासूमियत, हाथ फैलाए, ज़िन्दगी मांग रही हैं
इन्सानियत, चेहरा छुपाये, किस गली भाग रही है

ना वास्ता कोई, स्कूल में लगी कतारों से
ना रास्ता कोई, गुज़रे जो कभी बहारों से
ना वास्ता कोई, स्कूल में लगी कतारों से
ना रास्ता कोई, गुज़रे जो कभी बहारों से

परीक्षा में हार के
डांट-फटकार के
ना दर्शन हुए कभी
दो दूनी चार के
मासूमियत, हाथ फैलाए, ज़िन्दगी मांग रही हैं
इन्सानियत, नज़रें चुराए, किस तरफ झाँक रही है

कुछ तो कर पायेंगे, हाथ से हाथ मिलाने से
हालात सुधर पायेंगे, चलने से कदम बढाने से

ये हैं मिटटी जैसे, हम कुम्हार बन जाएँ
दिए से हों रोशन ये, हम अंगार बन जाएँ
मासूमियत, हाथ फैलाए, ज़िन्दगी मांग रही हैं
इन्सानियत, चेहरा छुपाये, किस गली भाग रही है
ना बस्ता कन्धों पे, बदन पे कपड़े ना
हैं निकले धंधों पे, किताबों के झगड़े ना
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