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Kahin Ja Ke Mar Jaao lyrics

Performer Rahgir

Kahin Ja Ke Mar Jaao song lyrics by Rahgir official

Kahin Ja Ke Mar Jaao is a song in Hindi

जब घर घर मे दो चार बंदे गंजे दिखने लगें
तुम बात करो पते की शुरू तो पंजे दिखने लगें
जब घर घर मे दो चार बंदे गंजे दिखने लगें
तुम बात करो पते की शुरू तो पंजे दिखने लगें
और सड़कों पर नेताओं के मंजे दिखने लगें
तुम फिर भी कुछ ना समझो तो कहीं जा के मर जाओ
तुम फिर भी कुछ ना समझो तो कहीं जा के मर जाओ
पिघल किसी के माथे का सिंदूर रहा हो
कई दिनों से भूखा जिस चेहरे का नूर रहा हो
पिघल किसी के माथे का सिंदूर रहा हो
कई दिनों से भूखा जिस चेहरे का नूर रहा हो
फिर कोई रोटी देकर छाती घूर रहा हो
तुम फिर भी कुछ ना समझो तो कहीं जा के मर जाओ
तुम फिर भी कुछ ना समझो तो कहीं जा के मर जाओ

चाहे ज़माने भर का उधार चढ़ा हो
चाहे शुक्रवार के उपर सोमवार चढ़ा हो
चाहे ख्वाहिशों की फोटो पर हार चढ़ा हो
तुम फिर भी जी लेना मगर

जब अमन के नाम पे चौतरफ़ा बम फुट रहे हों
जब बिना सिसकियों के सारे दम टूट रहे हों
जब अमन के नाम पे चौतरफ़ा बम फुट रहे हों
जब बिना सिसकियों के सारे दम टूट रहे हों
जब कमज़ोरों को ताक़त वाले कूट रहे हों
तुम फिर भी कुछ ना समझो तो कहीं जा के मर जाओ
तुम फिर भी कुछ ना समझो तो कहीं जा के मर जाओ
निकल के दफ़्तर से कोई पउवा खरीद रहा हो
कोई अपने बाग की खातिर कौवा खरीद रहा हो
कोई निकल के दफ़्तर से कोई पउवा खरीद रहा हो
कोई अपने बाग की खातिर कौवा खरीद रहा हो
और कई साल से सूखा कुआँ खरीद रहा हो
तुम फिर भी कुछ ना समझो तो कहीं जा के मर जाओ
तुम फिर भी कुछ ना समझो तो कहीं जा के मर जाओ

जा के मर जाओ
Lyrics copyright : legal lyrics licensed by Lyricfind.
No unauthorized reproduction of lyric.

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