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Aalsi Dopahar lyrics

Performer Rahgir

Aalsi Dopahar song lyrics by Rahgir official

Aalsi Dopahar is a song in Hindi

एक आलसी दोपहर में, एक बूढ़े नीम की छाँव में

एक आलसी दोपहर में, एक बूढ़े नीम की छाँव में
जो नक्शे में भी ना मिले, उस छोटे से गाँव में
मेरे दादा मुझसे कह रहे थे कि बेटा कुछ क़ानून है
जितनी तरह के बंदे दिखते, उतनी तरह के खून हैं
उतनी तरह के क़िस्से हैं हर बंदे के हर घाव में
एक आलसी दोपहर में, एक बूढ़े नीम की छाँव में

एक सिपाही के चर्चे सुन रह गया था दंग मैं
उसने मार गिराए थे ना जाने कितने जंग में
गाँव में जब वो लौटा था तो खड्डा था एक आँख में
पर सारे यही पूछ रहे थे, “कितने मिलाए राख में

किसी ने उसका हाल ना पूछा, ऐसे ही सब घर गए
फ़ौजी को यूँ लगा कि जैसे वो सारे भी मर गए
उसने अपनी माँ से कहा, “कर डाले मैंने पाप कई
जो चाहे इसे नाम दो, मैंने छीने बेटे-बाप कई
ये सब सोच-सोच कर मेरी तो आँखें नम होती हैं
क्या अजनबियों की जान की क़ीमत अपनों से कम होती है
क्या अजनबियों की जान की क़ीमत अपनों से कम होती है
और फिर पानी भरता गया, उस छेद से उस नाव में
एक आलसी दोपहर में, एक बूढ़े नीम की छाँव में
जो नक्शे में भी ना मिले, उस छोटे से गाँव में
Lyrics copyright : legal lyrics licensed by Lyricfind.
No unauthorized reproduction of lyric.

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