Manzilon Se Manzilon Tak song lyrics by अवधुद गुप्ते official
Manzilon Se Manzilon Tak is a song in Hindi
एक वक़्त था हँसे के लिए
ज़रूरते कितनी कम थी
और आज
यह फ़र्क जब महसूस होता है
यह मंज़िलों से मंज़िलों तक चलते हुए
मैने कितना कुच्छ पाया है
लेकिन खो दी सिर्फ़ एक चीज़ मासूमियत
उँचओ के ख्वाब थे
उँची थी सारी मंज़िले
और हर मंज़िलो पे
मिलती और सारी मंज़िले
उँचओ के ख्वाब थे
उँची थी सारी मंज़िले
और हर मंज़िलो पे
मिलती और सारी मंज़िले
मंज़िलों से मंज़िलों तक
भागते रास्ते
मंज़िलों से मंज़िलों तक
भागते रास्ते
इन रास्तो मैं खो गयी
मासूम मुस्कुराहते
मासूम मुस्कुराहते
लिखते तो पहले ही था
और आज भी लिखता हूँ
लेकिन आज कल सोचने लगा हूँ
लिखने से पहले के
चलेगा नहीं चलेगा
हिट होगा नहीं होगा
पहले मैं अपनी मर्ज़ी का राजा था
लिखता था अपने लिए
सिर्फ़ अपने लिए
जन्म लेते रोज नगमे
आसमान को देखकर
कागाज़ो पे रात बहती थी
साइटारे ओधकर
साम ढालना दिन का चलना
सब था मेरे वेस्ट
साम ढालना दिन का चलना
सब था मेरे वेस्ट
अब ना वो रात दिन
मंज़िले और रास्ते
मंज़िलों से मंज़िलों तक
भागते रास्ते
इन रास्तो मैं खो गयी
मासूम मुस्कुराहते
मासूम मुस्कुराहते
पहले कोई छ्होटी दोस्ती करता
भी तो किस लिए
क्या था मेरे पास
पर अब सच्चा दोस्ती का हाथ आयेज बढ़े
तो लगता है इसे क्या चाहिए मुझसे
यह क्यू दोस्ती करना चाहता है मुझसे
ह्म आज क्यू है मुस्कुरहत
जूथ लगती है बड़ा
आज क्यू है मुस्कुरहत
जूथ लगती है बड़ा
दोस्ती का हाथ भी
लगता है कुच्छ देने बढ़ा
आज क्यू है मुस्कुरहत
जूथ लगती है बड़ा
दोस्ती का हाथ भी
लगता है कुच्छ देने बढ़ा
हाथ दया आईने मैं
हाथ बया क्यू लगे
हाथ दया आईने मैं
हाथ बया क्यू लगे
यह आईना भी मूजखसे
कुच्छ है चाहता ऐसा लगे
मंज़िलों से मंज़िलों तक
भागते रास्ते
इन रास्तो मैं खो गयी
मासूम मुस्कुराहते
मासूम मुस्कुराहते
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