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Koyal - Cactus - Kavi lyrics

Performers RaahiAmitabh Bachchan

Koyal - Cactus - Kavi song lyrics by Raahi official

Koyal - Cactus - Kavi is a song in Hindi

कोयल
"तुझे एक आवाज़ मिली क्या
तूने सारा आसमान ही
अपने सिर पर उठा लिया है
कुऊ...कुऊ...कु

"तुझे एक आवाज़ मिली क्या
तूने सारा आसमान ही
अपने सिर पर उठा लिया है
तुझे मर्मभेदी, दरर्दीला
मीठा स्वर जो मिला हुआ है
दिशा-दिशा में
डाल-डाल में
पात-पात में
उसको रसा-बसा देने को
क्या तू सचमुच
अंत:प्रेरित
अकुलाई है
या तू अपना,
अपनी बोली की मिठास का
विज्ञापन करती फिरती है
अभी यहाँ से, अभी वहाँ से
जहाँ-तहाँ से
वह मदमाती
अपनी ही रट
गई लगाती, गई लगाती, गई

कैक्टस
रात एकाएक टूटी नींद
तो क्या देखता हूँ
गगन से जैसे उतरकर
एक तारा
कैक्टस की झाड़ियों में आ गिरा है
रात एकाएक टूटी नींद
तो क्या देखता हूँ
गगन से जैसे उतरकर
एक तारा
कैक्टस की झाड़ियों में आ गिरा है
निकट जाकर देखता हूँ
एक अदभुत फूल काँटो में खिला है
हाय, कैक्टस
दिवस में तुम खिले होते
रश्मियाँ कितनी
निछावर हो गई होतीं
तुम्हारी पंखुरियों पर
पवन अपनी गोद में
तुमको झुलाकर धन्य होता
गंध भीनी बाँटता फिरता द्रुमों में
भृंग आते
घेरते तुमको
अनवरत फेरते माला सुयश की
गुन तुम्हारा गुनगुनाते
धैर्य से सुन बात मेरी
कैक्टस ने कहा धीमे से
"किसी विवशता से खिलता हूँ
खुलने की साध तो नहीं है
जग में अनजाना रह जाना
कोई अपराध तो नहीं है
Lyrics copyright : legal lyrics licensed by Lyricfind.
No unauthorized reproduction of lyric.
Writers: HARIVANSH RAI BACHCHAN, MURLI MAHOHAR SWARUP
Copyright: Royalty Network

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