song lyrics / अल्ताफ़ राजा / Tum To Thehre Pardesi lyrics  | FRen Français

Tum To Thehre Pardesi lyrics

Performers Altaf Rajaअल्ताफ़ राजा

Tum To Thehre Pardesi song lyrics by अल्ताफ़ राजा official

Tum To Thehre Pardesi is a song in Hindi

तुम तो ठहरे परदेसी
तुम तो ठहरे परदेसी
साथ क्या निबहाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निबहाओगे
सुबहा पहली
सुबहा पहली
सुबहा पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे

जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
आसुओं की आसुओं की
आसुओं की बारिश में तुम भी भीग जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निबहाओगे

यू तो ज़िंदगी अपनी मैकड़े में गुज़री हैं
यू तो ज़िंदगी अपनी मैकड़े में गुज़री हैं
यू तो ज़िंदगी अपनी मैकड़े में गुज़री हैं
इन नशीली आँखों इन नशीली आँखों
इन नशीली आँखों से कब हमें पीलाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निबहाओगे

क्या करोगे तुम आख़िर काबरा पर मेरी आकर
क्या करोगे तुम आख़िर काबरा पर मेरी आकर
क्यों के जब तुमसे इतेफ़ाक़न जब तुमसे इतेफ़ाक़न
मेरी नज़र मिली थी
अब याद आ रहा हैं
शायद वो जनवरी थी
तुम यू मिली दुबारा
फिर माहे फ़रवरी में
जैसे के हमसफ़र हो
तुम राहें ज़िंदगी में
कितना हसी ज़माना
आया था मार्च लेकर
राहें वफ़ा पे थी तुम
वादों की टॉर्च लेकर
बाँधा जो अहदे उलफत
अप्रैल चल रहा था
दुनिया बदल रही थी
मौसम बदल रहा था
लेकिन माई जब आई
जलने लगा ज़माना
हर शाकस की ज़बान पर
था बस यही फसाना
दुनिया के दर्र से तुमने
बदली थी जब निगाहें
था जून का महीना
लब पे थी गर्म आहें
जुलाइ में जो तुमने
की बातचीत कुत्छ कम
थाइन आसमान पे बादल
और मेरी आँखें पूर्णाम
महे अगस्त में जब
बरसात हू रही थी
बस आसुओं की बारिश
दिन रात हो रही थी
कुत्छ याद आ रही हैं
वो माह था सितंबर
भेजा था तुमने मुझको
तारके वफ़ा का लेटर
तुम गैर हो रही थी
ओक्तूबर आ गया था
दुनिया बदल चुकी थी
मौसम बदल चुका था
जब आ गया नवंबेर
आईसी भी रात आई
मुझसे तुम्हें छुड़ाने
सजकर बारात आई
बेखैफ़ था डिसेंबर
जसबात मार चुके थाइन
मौसम था सर्द उस्मन
अरमान बिखर गये थे
लेकिन यह क्या बतौ अब हाल दूसरा हैं
लेकिन यह क्या बतौ अब हाल दूसरा हैं
अरे वो साल दूसरा था यह साल दूसरा हैं
अरे वो साल दूसरा था यह साल दूसरा हैं
क्या करोगे तुम आख़िर
क्या करोगे तुम आख़िर काबरा पर मेरी आकर
थोड़ी देर रो थोड़ी देर रो
थोड़ी देर रो लोगे और भूल जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निबहाओगे
सुबहा पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निबहाओगे
Lyrics copyright : legal lyrics licensed by Lyricfind.
No unauthorized reproduction of lyric.
Writers: MOHD. SHAFI NIYAZI, ZAHEER ALAM
Copyright: Royalty Network

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