song lyrics / लता मंगेशकर / Apni Ulfat Pe Zamane Ka lyrics  | FRen Français

Apni Ulfat Pe Zamane Ka lyrics

Performers लता मंगेशकरमुकेशलता मंगेशक

Apni Ulfat Pe Zamane Ka song lyrics by लता मंगेशकर official

Apni Ulfat Pe Zamane Ka is a song in Hindi

अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता
तो कितना अच्छा होता
तो कितना अच्छा होता
प्यार की रात का कोई न सवेरा होता
तो कितना अच्छा होता
तो कितना अच्छा होता
अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता
तो कितना अच्छा होता
तो कितना अच्छा होता

पास रहकर भी बहुत दूर बहुत दूर रहे
एक बन्धन में बँधे फिर भी तो मजबूर रहे
पास रहकर भी बहुत दूर बहुत दूर रहे
एक बन्धन में बँधे फिर भी तो मजबूर रहे
मेरी राहों में न उलझन का अँधेरा होता
तो कितना अच्छा होता
तो कितना अच्छा होता

दिल मिले आँख मिली प्यार न मिलने पाए
बाग़बाँ कहता है दो फूल न खिलने पाएँ
दिल मिले आँख मिली प्यार न मिलने पाए
बाग़बाँ कहता है दो फूल न खिलने पाएँ
अपनी मंज़िल को जो काँटों ने न घेरा होता
तो कितना अच्छा होता
तो कितना अच्छा होता

अजब सुलगती हुई लकड़ियाँ हैं जग वाले
मिलें तो आग उगल दें कटें तो धुआँ करें
अजब सुलगती हुई लकड़ियाँ हैं जग वाले
मिलें तो आग उगल दें कटें तो धुआँ करें
अपनी दुनिया में भी सुख चैन का फेरा होता
तो कितना अच्छा होता
तो कितना अच्छा होता
अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता
तो कितना अच्छा होता
तो कितना अच्छा होता
Lyrics copyright : legal lyrics licensed by Lyricfind.
No unauthorized reproduction of lyric.
Writers: Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan
Copyright: Royalty Network

Comments for Apni Ulfat Pe Zamane Ka lyrics

Name/Nickname
Comment
Copyright © 2004-2024 NET VADOR - All rights reserved. www.paroles-musique.com/eng/
Member login

Log in or create an account...

Forgot your password ?
OR
REGISTER
Select in the following order :
1| symbol to the left of the suitcase
2| symbol to the right of the heart
3| symbol at the bottom of the trash
grid grid grid
grid grid grid
grid grid grid