Devi est une chanson en Hindi
(बस करो)
AYE
(कुछ तो शर्म करो)
क्यों चिल्ला रही है मेरे घर में
यह मेरा घर है मेरा
और मैं इस घर का मालिक
एक कमरा है एक बीवी है और
और दो नाबालिग दोनों कलीख साले
बचपन से पाले कमाता मैं और खाते ये फिर देते मुझको गाली पर सिर्फ
यह दारू है जो मुझको समझती हैं
पड़ोसी नासमझ बीवी को बोले बेचारी
पर वो मेरी जिम्मेदारी मेरी पाली में शेर पर अब कुत्तेपन की मेरी बारी
एए संभाल अपने बच्चे को
साला इसे वजह से मेरा खिसकता दिमाग जगह से मेरा सुबह से रगड़ता चढ़ा
अंधेरा घर बैठके इनको कमा के दे रहा
जीना हराम कर रखा है जाम भर रखा है कड़वा भरा बथेरा अबे
कैसे चले बिना दवा के मेरा काम
दस हजार में से चार हजार तो आम तौर पर दाम
तीन चार हजार बच्चों के खर्चों में
स्कूल की फीस और बिजली के पर्चे में
बाकी सारा यह कहां उड़ाती है
समझ नहीं आता यह
बासी जो परसो का खाना खिलाती है
फीका तड़कती है पानी या सरसों में और
मीठे में मिलती बस मुझको खटास
उदासी ये मालिक की निकले मुलाज़िम पे बनके भड़ास
अबे जाती कहां है आ पास
अभी तो बाजू टूटेगी
आंखें नीली और तू कम नहीं सुजेगी
चामड़े की बेल्ट से चमड़ी उधड़ेगी
लंगड़ी चलेगी तेरी अम्मी पूछेगी की
घर में चल रहा कलेश तो नहीं
चल भी रहा है तो सह ले तू बेटी
करने की सोचियो केस तू नहीं
पड़ोसी क्या बोलेंगे इज्जत हमारी भी तेरे ही हाथों में
माईके की करियो बेइज्जती नहीं (हाहा)
वैसे भी पत्नी तो पति व्रता
और सती प्रथा थी अपनी ही देश की नहीं
अबे क्या कर रही है
अपने बाप को फोन मिला रही है
ला इधर मैं मिलता हूँ
कितने थप्पड़ तुझे आज तक मारे
कितने और मारूंगा आजा मैं गिनता हूँ
जा आएगी कहां तुझे समझ नहीं आता मुझसे ही पलटी है
तुझे और तेरे इन मटियाल से पिल्लों को मैं खिलाता हूँ
चिल्ला हां और चिल्ला
आवाज़ में दर्द थोड़ा और मिला
अरे ये लोग बचाएंगे तुझको क्या जिनके बुज़ुर्गों का बचकाना फॉर्मूला
इनको प्रेमी दिखे तो ये मारते बोलते पास से एक-आध को और बुला
और देखे कोई झगड़ा तो बोले के जाने दो
घर का है मामला
डर का यह सामना
एक औरत के लिए तो नॉर्मल है
2005 में लॉ बना
घरेलू हिंसा जितनी रिपोर्ट में जाती
असल में होती है सौ गुना
और चलता ही रहेगा तब तक यह जब तक
समझेंगे नहीं यह नौजवान की
पति का पत्नी पे पूरा हक होता है
फिर चाहे कुछ भी करे उसको गुनाह ना मान
चाहे वो थप्पड़ मारे या मुक्के
वह प्यार करे या थुके
एए क्या कर रही है सरिया है मुझको लग जाएगी रुक बे
Ah Ah
ए कहाँ जा रही है
ए मेरे मेरे बच्चों को छोड़ दे
ए मुझको माफ कर दे माफ कर दे
शायद
शायद बचपन से मैंने यह देखा था
दादा ने दादी को पीटा था
बाप ने मां को घसीटा था
बहन को बोलते पराया धन और मैं
राजा के तरह ही जीता था क्योंकि मैं बेटा था
शायद शायद शायद मैं ही इतना कमजोर था
कि अपनी नाकामी का बोझ उठा न सका तब ही तेरी सादगी का फायदा उठाया
शायद शायद मैं ही इतना कमजोर था
कि तुझे तुझे गुलाम समझा जबकि घर में देवी देवी बोलके लाया लाया