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Nagri Nagri lyrics

Performer शंकर महादेवन

Nagri Nagri song lyrics by शंकर महादेवन official

Nagri Nagri is a song in Hindi

ओ नगरी नगरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया

क्या है तेरा क्या है मेरा
अपना पराया भूल गया

ओ नगरी नगरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया

क्या भुला कैसे भुला
क्यों पूछते हो, बस यूँ समझो
कारण दोष नहीं है कोई
भुला भाला बोल गया
ओ नगरी नगरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया

कैसे दिन थे कैसी रातें
कैसी बातें खाते थे
कैसे दिन थे कैसी रातें
कैसी बातें खाते थे
मन बालक है पहले प्यार का
सुन्दर सपना फूट गया
अंधियारे से एक किरण ने
झांक के देखा शर्माए
धुंधली जब तो याद रहे
कैसा था चेहरा भूल गया
याद के खेल में आकर दिलबर
ऐसी कारी चोट लगी
दुःख में सुख है, सुख में दुःख है
भेद है ये न्यारा बोल गया
एक नज़र की एक ही पल की बात है डोरी साँसों की
एक नज़र का नूर मिटा जब इक पल बीता भूल गया
सूझ, बुझ की बात नहीं है
मनमौजी है मस्ताना
लहर लहर से जो सर पटका
सागर गहरा भूल गया
ओ नगरी नगरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया

क्या भुला कैसे भुला
क्यों पूछते हो, बस यूँ समझो
कारण दोष नहीं है कोई
भुला भाला बोल गया
ओ नगरी नगरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया
Lyrics copyright : legal lyrics licensed by Lyricfind.
No unauthorized reproduction of lyric.

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