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SANATAN KI SANTAN lyrics

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SANATAN KI SANTAN song lyrics by Jagirdar RV official

SANATAN KI SANTAN is a song in Hindi

मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मेरे सीने बसते सीयाराम
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं ही रामायण गीता ज्ञान
मैं महाभारत में अर्जुन बाण
मैं पीता ज़हर मैं भोलेनाथ
मैं ही ब्रह्मा मुझसे ब्रह्माण्ड
निर्भीक निडर निर्णायक हूँ
केशव कान्हा सा नायक हूँ
मैं सदा न्याय की बात करूँ
मैं सदा सत्य का गायक हूँ
मैं अरुण उजाला तेज भयंकर
पाप नाश करूँ बनके शंकर
शत्रु संधि कभी नहीं
मैं ध्वज गाड़ दु छाती चढ़कर
परशुराम की शक्ति हूँ
मैं ही मीरा की भक्ति हूँ
आधार सभी का बना हूँ मैं
मैं ही अंबर और धरती हूँ
मैं मानवता जीवन रेखा
उत्थान पतन सबका देखा
पर मिटा ना कभी अस्तित्व मेरा
मैं कभी लोभ में ना बहका
मैं रणभूमि में बनता काल
युद्ध में रणनीति बुनता जाल
ताक़तवर से भयभीत नहीं
मैं सदा लाचार की बनता ढाल
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मेरे सीने बसते सीयाराम
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं मर्यादा में रहता हूँ
पर अति कभी ना सहता हूँ
मैं कभी हिमालय अचल रहु
मैं कभी गंगा सा बहता हूँ
चाहे रावण या हो दुर्योधन
एक बार सभी को चेताया
पर ना समझे मेरी बात को वो
तो मृत्यु मेघ को बरसाया
मैं तान सुनाता मुरली की
पर बाण चलाना आता है
चाहे पाप समंदर कितना भी
मुझे सेतु बांधना आता है
असुरों का संहार हूँ मैं
कभी रण काली विकराल हूँ मैं
मैं ही दुर्गा और मैं ही भवानी
दुष्टों का श्मशान हूँ मैं
केवल गिरिवर का धारी ना
साथ सुदर्शन चक्र भी है
है हंसवाहिनी सरस्वती
दुष्टों को निगलता मक्र भी है

मैं महावीर सा ज्ञाता हूँ
मैं ही बुद्ध का परम ध्यान
संसार चले मेरी मर्ज़ी से
मुझसे ही है विधि विधान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मेरे सीने बसते सीयाराम
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मन मस्तिष्क में दया प्रेम
पर धर्म के ख़ातिर सर काटे
वेद पुराण का ज्ञान दिया
और वचन के ख़ातिर वन काटे
सदा करुणा का पाठ पढ़ाया
मानवता का मार्ग दिखाया
झूठ कपट् ना लोभ लाभ
सदा सत्य साथ निभाया
मुझमें लिखी ही सती कहानी
मुझमें बसी है राधा रानी
मुझमें नानक ग़ुरबानी
और मुझमें ही विष्णु वाणी
मैं अग्नि का हूँ अलख रूप
और कभी दिखता हिम सा अनूप
अवतार अनेकों बसे है मुझमें
मुझसे ही है सूर्य धूप
है त्याग दिया जौहर सा मैंने
बना हूँ पौरस की हूँ ललकार
मैं कभी अशोक सा दानी हूँ
कभी राणा की मैं हूँ फटकार
मैं वीर शिवा सा युद्ध लड़ता
मैं विवेकानंद जीवन आधार
मैं कभी लचित सा राष्ट्र भक्त
मैं दीनदयाल का हूँ कल्याण
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मेरे सीने बसते सीयाराम
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं धर्म सनातन की संतान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
मैं सदा अमर जय जय हनुमान
Lyrics copyright : legal lyrics licensed by Lyricfind.
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